First Love Part 1

“राहुल! राहुल।” सुमन उसे अपनी तरफ ध्यान देने को कह रही थी। उसके हाथ में कोई कागज़ का टुकड़ा था। लेकिन राहुल टेबल पर रखे पेन को कैरम की तरह खेलने में व्यस्त था।

“जिस पे हम मर मिटे, उसको पता भी नहीं…क्या गिला हम करें वो बेवफा भी नहीं…”

“तो, तो क्या तुमने जो मुझे कहा वो हर किसी से कह सकती हो?” राहुल ने अचानक बीच में टोक दिया।

सुमन ने अपनी बड़ी आँखें दिखाई जैसे वो राहुल को खा ही जायेगी। उसने अपने हाथ में रख कागज़ वापस कसकर मरोड़ दिया जिसे वह राहुल को देने की सोच रही थी।

“सॉ… सॉरी। इतना तो मत घूरो तुम।”

वह लगातार घूरे जा रही थी।

“तो तुम मुझे डराकर ही मानोगी। सॉरी कहा ना…” राहुल ने अपने दोनों कान पकड़ लिए थे।

“सुमन… चलना नहीं है… ” पीछे से आवाज़ आई। राहुल ने झट से अपने दोनों हाथ नीचे कर लिए। जैसे यदि कोई देख लेगा तो उसकी इज़्ज़त धुल जायेगी।

“हाँ… ,बस अभी थोड़ा ठहरो।” वह अभी भी मैदान में डटी हुई थी। उसका गुस्सा बढ़ रहा था।

“सॉरी प्लीज…” एक बार फिर राहुल फुसफुसाया।

“सुना या नहीं।” भूमिका फिर से चिल्लाई।

भूमिका की आवाज़ सुनकर सुमन का मूड बदल गया। वह उसे कहीं ले जाने आई थी।

“ठीक है, फिर मिलते हैं कहीं रीना मैम ना आ जाएं। बाय…” कहते हुए सुमन मुस्कुरा दी।

सुमन की मुस्कान देखकर राहुल की जान में जान आई। वह उसे जाते हुए देख रहा था।

“सुनो…” उसे रोकने की कोशिश में राहुल का हाथ हवा में उठ गया था।

“ए… क्या हुआ?”

“कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं।” राहुल अचानक नीलम की आवाज़ सुनकर चौंक गया था।

“तो तुम किसे रोक रहे थे अभी?”

राहुल का हाथ अभी भी हवा में उठा हुआ था जिसका कारण वह भी नहीं समझा था।

“देखो तुम मुझे यहाँ लाया ना करो और अगर लाया करो तो कहीं खोया ना करो।” नीलम बड़बड़ा रही थी। वह कुछ देर पहले ही राहुल के साथ हल्दीराम होटल में आई थी। नीलम के गुलाबी चेहरे की चमक ही बताने के लिए काफी थी कि उसने तैयार होने में बहुत समय लिया था। उसकी कलाई में मल्टीकलर कंगन चमक रहा था। एक हाथ में नोकिया का सफ़ेद रंग का मोबाइल शहर में हरदम उसके साथ रहता था। उसके बड़े होठो पर हलकी गुलाबी ग्लॉस पंखुड़ी का अक्स छोड़ रही थी लेकिन उसका पूरा ध्यान राहुल की तरफ था जिसके लिए वह इतना सजकर आई थी। आज उसने हॉस्टल में अपनी किसी सहेली को भी नहीं बताया था।

“अरे लो ना तब तक तो ये ठंडा हो जायेगा।” राहुल बोल पड़ा।

“ठंडा या गरम…?” नीलम ने सामने प्लेट में रखी ब्लैक फारेस्ट आइसक्रीम देखकर कहा।

“हाँ वही कह रहा था। क्या है न हम दोस्तों के साथ चाय या कॉफ़ी ही लेते हैं अक्सर।”

“पता है, लेकिन तुम्हारा ध्यान यहाँ नहीं है।” उसने राहुल की चोरी पकड़ ली थी। नीलम चाहती थी कि राहुल भी अपना ध्यान सामने फोकस करे।

राहुल हर बार सुमन को भूलने की कोशिश करता लेकिन वह अब भी नहीं भूल पा रहा था। इसलिए नहीं कि सुमन जैसी खूबसूरत लड़की नहीं मिली थी बल्कि इसलिए कि सुमन की तरह मासूमियत और सादगी उसे किसी में नहीं दिखी थी। वैसे भी कोई अपना पहला प्यार कैसे भूल सकता था जो राहुल भूल पाता।

“आ करो..” नीलम ने आइसक्रीम लेकर चम्मच राहुल की तरफ बढ़ाई।

“खा लूँगा पहले तुम लो।”

“ठीक है।” कहते हुए नीलम ने आइसक्रीम अपने मुंह में डाल ली। वह बिलकुल भी नहीं चाहती थी कि उस समय उन दोनों के अलावा भी कोई हो फिर चाहे यादों में ही क्यों ना हो।

“हूँ, अभी तो मूवी भी दिखाओगे। नहीं क्या?”

राहुल के गले में थूक अटक गया था। उसने धीरे से अपना हाथ पर्स की तरफ बढ़ाया। शायद उसके पास कम पैसे थे।

“अरे, क्या हुआ?”

“कुछ नहीं।”

“तुम्हारा चेहरा?”

“क्या हुआ?” राहुल ज़बरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश में अपनी बत्तीसी दिखा रहा था कोई भी समझ सकता था।

“मैंने मज़ाक किया था, हम लोग यहाँ से कुछ देर के लिए पार्क में चलें, वहाँ ठीक रहेगा।”

“हाँ, ठीक है।” राहुल खुश हो गया उसके जेब से पैसे बच गए थे।

“राहुल।”

“हाँ।”

“मुझे ये बताओ कि इंजीनियरिंग के बाद तुम क्या करने वाले हो?”

“जॉब और क्या?”

“कहाँ?”

“कहीं भी।”

“यहाँ नहीं रह सकते एक साल और ताकि मेरी भी पढ़ाई पूरी हो जाये?”

“क्यों?”

“मैं तो तुम्हारे साथ नहीं चल सकती ना।”

“तो क्या हुआ। हम बीच बीच में मिल लिया करेंगे।”

नीलम काफी देर तक उसे अपलक देखते रही। वह किसी भी कीमत उससे दूर नहीं रहना चाहती थी। वह जानती थी कि अनजाने में दूरी से रिश्ते भी दूर हो जाते हैं लेकिन उसे एक साल और बचा था।

“क्या हुआ?”

“मुझे डर लग रहा।”

“किस बात का?”

“अब ये भी समझाना पड़ेगा मुझे। क्या तुम नहीं समझ सकते कि मैं तुमसे दूर नहीं रह सकती।”

“अरे, मेरे रहते हुए तुम्हें यह सब सोचने की क्या ज़रूरत। एक बार जॉब लगा तो फिर सब आसान हो जायेगा। नीलम मुझे इसकी काफी ज़रूरत है। मैं घर से ज़्यादा पैसे नहीं मांग सकता।”

“तो मुझसे माँग लेना।”

“नहीं मुझे कुछ करना तो पड़ेगा। हाँ यक़ीन मानो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ और कभी अकेले होने का एहसास नहीं होने दूँगा।”

“कैसे?”

“बीच बीच में हम लोग मिल लिया करेंगे। अरे हाँ मुझे अभी घर जाकर थोड़ा टाइम बिताना है।”

“मैं भी चलूँ तुम्हारे साथ?”

“अच्छा और मैं घर में क्या बताऊंगा कि तुम…”

“अरे मैंने तो मज़ाक किया था।” नीलम ने कहा और मोबाइल देखकर कुर्सी से उठ गई, “शाम के साढ़े छह बज रहे, मुझे सात बजे तक हॉस्टल पहुंचना होगा।”

“इतने जल्दी?”

“हाँ जाना तो पड़ेगा, उसके बाद गेट बंद हो जाता है।”

“चलो मैं तुम्हें गेट तक छोड़ देता हूँ।” राहुल ने कहा।

कुछ ही देर में नीलम को अपनी बाइक में पीछे बिठाकर राहुल गर्ल्स हॉस्टल की तरफ बढ़ गया।

“बस, बस यहीं।”

“थोड़ा और..”

“नहीं दूर से ही, वहाँ गार्ड और कोई देख सकते हैं। अच्छा बाय।”

“राहुल भी बिना इशारा किये केवल मुंह भर हिला पाया। वह उसे गेट के अंदर जाते तक देखते रहा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top