Itwar Ki Subah Ka Intzar

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हर बार की तरह इस बार भी इस इतवार की सुबह का सभी को बेसब्री से इंतजार होगा जैसे पहले कभी पेरेंट्स के घर से आने का इंतजार होता था। सुबह से उठ कर नहा धो कर तैयार होकर नास्ता की बेल का इंतजार कर जल्दी से नास्ता कर और फिर मॉर्निंग असेम्बली में हाज़िरी लगा कर झट से गेट पर जा कर खड़े हो पैरेंट को झॉंक कर देखना, हर आने वाली ऑटो में अपने परिवार जनों की आस लगाना किसी सपने से कम नई होता था और घर से आने वाले खाने की तो बात ही मत पूछो जो भी हो अच्छा ही लगता था।

पूरे नवोदय परिसर में मानो दिन भर एक मेला सा लगा रहता था। कोई पेड़ के नीचे,पत्थर, मैदान, सड़क,पानी की टंकी, हॉस्‍टल, पलंग,स्कूल बिल्डिंग, गार्डन, सारा कुछ भरा प्रतीत होता था मानो इतवार के पूरे नवोदय परिसर में एक चमक सी आ जाती थी। जिस के घर से पैरेंट आते थे उनका तो अलग ही जुगाड़ होता था, और जिनके घर से कोई नही आता था उनका एक मात्र टी.वी.देखना आधार होता था वो अपनी खुशी उसी में जाहिर कर लेते थे। उनके लिए भी मेस में खीर,पुरी,मटर की सब्जी मानो छप्पन भोग की तरह होता था। जैसे-जैसे दिन ढलते जाता था, वैसे-वैसे सभी के चेहरे की रौनक कम होते जाती थी। फिर से वही शाम की असेंबली हाज़िरी और फिर उदास मन से होस्टल की तरफ जाते हुए उदास चेहरे। होस्टल पहुचते ही थोड़ी बहुत गप-शप और रात के खाने की बेल का इंतजार और इतवार के दिन का वो खाना अचार,दाल,चावल,और पापड़ लाजवाब होता था। फिर वापस से होस्टल आना और हाउस मास्टर के आने का इंतजार होता था। फिर वही कल से अपनी पुरानी वाली दिनचर्या की याद में चुपचाप से सो जाना मानो इस बार का इतवार सब के लिए एक अलग सा होगा।

वही जगह वही लोग बस कुछ आजादी होंगी पुरानी यादों को ताजा करने की सुबह होगीी। अब आप को कोई रोकने वाला नही होगा जो गेट के बाहर जाने नही देगा या गेट के अंदर आने नही देगा। नवोदय परिसर मे बिना किसी डर और झिझक के खुले-आम घूमने का दिन होगा। अब कोई नही होगा जो आप को सुबह उठा कर कचरा साफ करायेगा, पानी लाने को कहेगा। इस इतवार की सुबह ना ही तुम्हे अपने कपड़े धोने होंगे, ना ही असेंबली में हाजरी लगानी होगी। सारा नवोदय आप के स्वागत में खड़ा होगा मानो एक अलग ही माहौल होगा। जब 500 बच्चो टीचर के बीच हम सब एक साथ जाएंगे मानो ऐसा प्रतीत होगा जैसे कि एक ज़न्नत की सैर में आये हो सब अपनी-अपनी बेच वालो के आने का इंतजार करेंगे तो कुछ-कुछ तो मानो अपनी बेच से अकेले ही आये होंगे और आये भी क्यों ना इतना गहरा नाता जो है नवोदय से। वो जिंदगी के सात साल जहाँ पूरा बचपन से जवानी तक का सफर गुजरा हो। घर परिवार सारा कुछ छोड़ कर नवोदय की गोद मे जो पले बढ़े हुए है। एक गहरा नाता है हमारा नवोदय से और यहाँ की हर एक चीज हर एक लोगों से। mp हाल वही होगा बस बैठने की जगह बदल गयी होगी। कभी जमीन पर दरी पर बैठा करते थे लोगों को देखा करते थे और तालिया बजाया करते थे। इस बार ऊपर चेयर पर बैठे होंगे सारा नवोदय हमे देख रहा होगा। कुछ अपने बीते दिनों के किस्से सुना रहे होंगे। सब के चेहरे मुस्कुरा रहे होंगे। वो भी क्या सुहाना पल होगा पहले कभी मोबाइल एक सपना हुआ करता था। अबकी बार सब के हाथों में मोबाइल होंगे सब अपनी तस्वीर ले रहे होंगे। हर एक पल को कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहे होंगे। सब अपने-अपने बैच वालो के साथ, तो बड़े भैया दीदी के साथ, तो स्कूल बिल्डिंग, तो हॉस्टल mp हॉल, पेड़, पत्थर, गार्डन, मेस, सर, मेडम, बच्चो के साथ तसवीर ले रहे होंगे। मानो ऐसा प्रतीत होगा जैसे वर्षों से खोई हुई चीज फिर से मिल गई हो। वो मेस की चाय-पारले जी, मेस का खाना, नाश्‍ता सारा कुछ वही पहले ही जैसा होगा बस हम सब वक़्त के साथ-साथ अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़े उलझ से गये होंगे तो अपनी इस भाग दौड़ भारी जिन्दगी से थोड़ा सा वक़्त चुरा कर अपनी उन सारी पुरानी यादों को फिर से एक बार यादगार बनाने और तरो ताजा करने को तैयार हो जाये और इस इतवार को यादगार बनाये और आना ना भूल जाये.!!

“वही पुरानी जगह जहाँ था अपना याराना,,
अपना दूसरा घर नवोदय सुहाना”

“वही पुरानी जगह जहाँ था अपना याराना,,
अपना दूसरा घर नवोदय सुहाना”

“तो दोस्तो अपनी साल भर की थकान को दूर करने और अपनी यादों को मजबूत बनाने को इस इतवार आना ना भूले.!

“अपना वही ठिया ठिकाना”
“अपना वही नवोदय पुराना”
💙💚❤️💛

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