Dinesh-Kumar-Drouna

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ek barsat mein maidan samundar hoga

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safar ko phir wahin le ja rahe hain

सफ़र को फिर वहीं ले जा रहे हैं सफ़र को फिर वहीं ले जा रहे हैं ख़ुतूत उन के उन्हें लौटा रहे हैं हमारी मौत के क्या फ़ाएदे हैं हम अपने आप को समझा रहे हैं कहाँ के राहबर कैसी मसाफ़त हमें ये लोग बस टहला रहे हैं ग़ज़ल शेर-ओ-सुख़न कुछ भी नहीं बस हम

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