4 Feet 2 Inch : Millennium Nights Story

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“ऐ तुम, हाँ तुम्हीं से कहा, इधर आओ।“ नर्स मैडम ने ऐसे बच्चे की तरफ इशारा किया जो ऊँचाई में सामान्य किंतु शरीर से काफी मज़बूत दिख रहा
था। उसके आत्मविश्वास भरे चेहरे से ही वह काम का लड़का लग रहा था।

“नाम क्या है तुम्हारा?“

“राहुल।“ उसने आगे बढ़कर जवाब दिया।

“तुम यहाँ आओ और इस दीवार के चार्ट से लाइन में खड़े सारे बच्चों की ऊँचाई मापो।“

“और तुम यहाँ आकर आँखें चैक करो ऐसे।“जैसे ही उन्होंने शिवम की तरफ इशारा किया वह भीड़ में से आगे बढ़ा। शिवम स्मार्ट तो था ही लाइन
में खड़े लड़कों से अधिक ऊँचा भी था।

“देखो मैं बताती हॅू कि कैसे चैक करना है।“ कहते हुए उन्होंने दोनों को पास बुलाया और कमरे के अंदर लगभग दस फीट ऊँचे और दो फीट मोटे
काॅलम में बना चार्ट दिखाकर कहा, “यह हाइट चार्ट बना है, यह देखो ये फीट और ये इंच, ठीक है।“

दोनों ने आज्ञाकारी बच्चों की तरह हाँ में सिर हिलाया।

“शाबाश, अब देखो तुम यहाँ खड़े हो जाओ और तुम यह स्केल उसके सिर से चिपकाकर रखो, ऐसे।“ उनका आदेश सुनकर राहुल दीवार से सटकर
खड़े हो गया और शिवम ने उसके सिर के ऊपर बालों को छूते हुए स्केल सीधा रखा।

“अब हटो ज़रा यहाँ से।“ नर्स मैडम के शब्द सुनते ही राहुल काॅलम की दीवार से हट गया।

“हाँ, अब देखो कितना है?“

“चार।“

“चार फीट, ठीक है, और यह लाइन कितनी है गिनो इसके बाद से?“

“तीन लाइन है।“ शिवम ने तुरंत गिनकर जवाब दिया।

“हाँ, तो क्या हुआ? चार फीट तीन इंच। समझे?“

“जी मैडम।“ शिवम ने उस चार्ट में नज़र रखे ही कहा।

“मैडम नहीं दीदी।“

“जी दीदी।“

“ठीक है ऊँचाई मापना सीख गए। अब देखो इस चार्ट की तरफ।“

वह पास के एक दूसरे काॅलम में लगे चार्ट को दिखाने लगी जिसमें ढेर सारे अक्षर अलग-अलग आकार में लिखे हुए थे।

“बेटा तुम उस जगह पर खड़े हो जाओ और अपनी बायीं आँख बंद कर बताओ कि ये क्या लिखा है?“

नर्स मैडम पूछती रहीं और शिवम बोलता गया। धीरे-धीरे चार्ट के नीचे के अक्षर छोटे होते गए लेकिन वह बिना परेशानी के सब कुछ बताते चला गया।

“हाँ, अब अपनी बायीं आँख बंद कर दायीं आँख से पढ़कर बताओ।“

उसने एक के बाद एक सब कुछ बता दिया।

“बहुत बढ़िया। समझ गए ना कैसे चैक करना है?“

“जी दीदी।“ कहते हुए उन्होंने जवाब दिया।

एक कुर्सी में बैठकर उन्होंने रजिस्टर उठाया। उनके सामने ही वज़न मापने की मशीन में खड़े करवाकर उनका रिकार्ड भर दिया।

“हाँ, अब तुम दोनों जाकर अपना काम संभालो।“

“जी।“ कहते हुए राहुल और शि

“जी।“ कहते हुए राहुल और शिवम मुस्तैदी से अपने काम में जुट गए।

नर्स मैडम भी बीच-बीच में उनकी तरफ नज़र मार लिया करती थीं ताकि सब कुछ ठीक से चले।

कमरे में भीड़ लगातार बढ़ रही थी और नर्स मैडम के लिये मेडिकल चेकअप कर पाना मुश्किल हो रहा था। डाॅक्टर टेबल के सामने बैठे हुए किसी
दाढ़ी वाले स्मार्ट व्यक्ति से अंग्रेजी में बात कर रहे थे। इसमें थोड़ा संदेह था कि उनकी अंग्रेजी शायद ही कोई समझ पा रहा हो।

नर्स मैडम उनकी व्यस्तता देखकर बच्चों को व्यवस्थित करने में लग गयी थीं लेकिन अब उन लड़कों ने काम आसान कर दिया था।

एक लड़का पीछे लाइन में खड़ा किसी तरह बचने का प्रयास कर रहा था। वह कुछ सोच रहा था फिर अचानक हिम्मत जुटाकर आगे बढ़ते हुए
शिवम के पास पहुँचा।

“मैं भी करूँ तुम्हारी मदद?“

“कैसी मदद?“ शिवम ने पूछा।

“यहाँ खड़े लड़कों को एक-एक कर पहुँचाने में, ये लोग मौका मिलते ही भीड़ बनाकर एकदम से आगे बढ़ जाते हैं।“

राहुल ने उसे ऊपर से नीचे घूरा। उसे कुछ जवाब नहीं सूझ रहा था।

“हाँ ठीक है।“कुछ देर सोचने के बाद उसने जवाब दिया।

“तो पहले तुम्हारा टेस्ट कर लें? फिर मदद करना।“

“नहीं, नहीं पहले लाइन वाले हो जायें।“ वह तुरंत बोल पड़ा।

“कमाल है, इधर सबसे पहले चैक करवाने के लिये लाइन लगी है और इसे देखो बाद में कह रहा है।“ राहुल सोच रहा था।

“अच्छा ठीक है, बाद में करा लेना।“ राहुल के मानते ही वह खुश हो गया।

कुछ देर बाद राहुल ने भीड़ बढ़ते हुए देखा तो कहा, “तुम यहाँ आ जाओ मैं संभालता हूँ उन्हें।“

“ठीक है।“ कहते हुए उसने राहुल के हाथ से छड़ी ले ली। अब काम अधिक व्यवस्थित हो गया था। राहुल उन्हें कभी मना करता, कभी धमकाता, कभी
चिल्लाता तो कभी घूर कर देखता था। अब कतार ठीक से आगे बढ़ रही थी।

टेबल में एक बच्चे की रिपोर्ट देखकर बुलाया गया, “बेटा तुम्हें तो अस्थमा की समस्या है और हम ऐसे में यहाँ अनुमति नहीं दे सकते। तुम्हें किसी बड़े
डाॅक्टर से ही लिखवाकर लाना होगा। यहाँ किसी भी बच्चे को जो शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है, एडमिशन नहीं दिया जाता। और हाँ, इसीलिये तो यह
सब किया जाता है।“

“मैडम, हम लोग इलाज करा रहे हैं ना।“ उसके पिता जो टेबल के पास आकर खड़े थे, बोले।

“लेकिन आपको फिटनेस सर्टिफिकेट लाना ही होगा। नहीं तो हम इसे नहीं रख सकते।“

कुछ देर बाद वह लड़का और उसके पिता बाहर चले गए।

लड़के-लड़कियों की दो कतार लगी थी। दो लड़कों के बाद एक लड़की का नंबर लग रहा था।

लगभग दो घंटे बाद जब भीड़ कुछ कम हुई तो राहुल वापस अपने स्थान पर आ चुका था। इधर सारे बच्चों के बाद आखिर में उसका नंबर आ ही गया।
ऊँचाई और आँखों की जाँच के बाद वह नर्स मैडम के सामने था।

“अपना नाम बताओ।“

“सौरभ।“

“पूरा नाम?“

“सौरभ साहू।“

“यहाँ पर खड़े हो जाओ।“ नर्स मैडम के आदेश पाते ही वह वज़न मापने वाली मशीन के ऊपर खड़े हो गया।

“32 किलो। ठीक है और हाइट?“

“4 फीट 2 इंच।“ सुनकर नर्स मैडम लिखते जा रही थीं।

“आँखें चेक करा ली?“

“जी करा लिया।“ सौरभ ने जवाब दिया। उसके करीब ही राहुल और शिवम भी खड़े थे।

“ठीक है, अब तुम सब लोग जा सकते हो।“ अपना काम पूरा होने पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

अगले दिन कक्षा में पहली बार लड़के अपनी पसंद की जगह पर बैठ रहे थे।

“सौरभ यहाँ, यहाँ मेरे पास।“ राहुल ने सौरभ को अपने पास बुलाया।

“नहीं यार मुझे यहीं बैठना है सबसे आगे।“ सौरभ मुस्कुराकर बोला।

“अरे, वहाँ बैठे-बैठे गर्दन अकड़ जायेगी। यहाँ से अच्छा दिखता है एकदम साफ।“

“लेकिन मुझे नहीं दिखेगा, यही जगह ठीक है।“

“क्या कहा? लेकिन कल तो तुझे साफ-साफ दिख रहा था।“

“नहीं यार, मुझे दूर का ठीक से नहीं दिखाई देता।“

“तो फिर कल उतने छोटे अक्षर कैसे पढ़ लिया तूने एकदम सही-सही?“

राहुल ने आश्चर्य से पूछा।

“आँख चैक करते समय चार्ट याद कर लिया था।“ सौरभ ने जवाब दिया।

“अच्छा। अब समझा।“ कहते हुए राहुल ने उसे हाथ दिखाया।

“लेकिन, यह तो चीटिंग हुई।“ शिवम ने कहा।

“नहीं यार, नहीं तो मुझे भी परेशान होकर वापस जाना पड़ता। शायद मुझे बाहर कर दिया जाता।“

“तो फिर चार्ट याद करने का विचार कैसे आया?“

“मुझे नहीं पता लेकिन रास्ता ना हो तो आगे बढ़ने के लिये खुद बनाना पड़ता है। मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता कि मुझे यहाँ से निकाला जाये।“ सौरभ
अपनी आँखें बंद कर ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।

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Source

Millennium Nights

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